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“शौचालय” के लिए सब्सिडी नहीं….जागरूकता और इच्छाशक्ति चाहिए

एक देश जिसके युवा “विकसित” देश बनने का सपना देख रहे हो, उसमे 597 मिलियन लोग आज भी खुले में शौच करते हों, इससे ज्यादा शर्मनाक बात क्या हो सकती है | वो देश जिसके पास अपनी सबसे पुरानी  और समृद्ध सभ्यता हो, वो देश जब २१वीं सदी में भी खुले में शौच जैसी समस्या से निजात पाने के लिए लड़ रहा हो, तब यहाँ के जिम्मेदार नागरिकों की  जिम्मेदारी और ज्यादा बढ़ जाती है | आज जब देश के प्रधानमंत्री विदेशों में जब अपने देश की समस्याओं को गिनाते है, तो उसमे...