Pages

Wednesday

Safety isn't expensive, its priceless

Safety is as simple as ABC - Always Be Careful.

Either in road or in any other aspects of life, Be always careful towards your risks, because “Precaution is always better than cure”, and It is better to lose one minute in life... than to lose life in a minute.

If we look upon road crashes figures of India, then it would be shocking, there's one death reported every 4 minutes on the streets of India, and we have highest no. of deaths due to road accidents, mainly from young ages.

So, as a citizens of India, it is our core responsibility to safe self and other precious life by following traffic laws on road.

Here, I don’t to discuss causes of road accidents in deep, it is crystal clear that many of accidents happens due to our ignorance on road.

In my views, below are the few my suggestions for road safety:

    1. Cell phones or any other distracting activity should be completely ban while driving

 

Around 80% road crashes happens due to distraction while driving, even it can be more than from drunk drivers. because distracted driving is engaging in any non-driving activity that increase the risk of crashing like eating, drinking, using GPS, talking to passengers, talking on phone or texting on phone etc.

From the above, texting involves the highest degree of driver distraction, because it involves all three types of distraction visual, manual & cognitive.

 

texting

first of all, as a responsible driver, it should be our duty, to avoid cell phone while driving, but central government should also think to completely ban use of cell phone while driving.

2. Always follow traffic rules

 

 

 

Traffic rules are made for to follow, these are not a joke…seriously, if you are treating these rules like a joke, then “death” would be punch line for that.

So it is simple like a poem:

trafiic rules

3. Respect cyclists, pedestrian and kids on road:

 

 

 

 

Cyclist, pedestrian and kids are more vulnerable in road accident, so as motorist, it is our duty to ensure better safety for pedestrian specially for kids and senior citizens.

Stop your vehicle behind the pedestrian crossing and not over it. be more careful and slow down near schools.

kids4. Never drink and drive 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

It is not need to repeat again and again, that don’t drink and drive, because all of us know about it, but as a post safety driving it become very important to mention this message once again.

d

at the end,

Safety isn't just a slogan, it's a way of life.

 

In India, NISSAN SAFETY DRIVING FORUM (NSDF) conducting the safety driving promotion activities, this campaign successfully reached close to 2 lakh citizens across 11 cities like New Delhi, Mumbai, Chennai, Chandigarh, Jalandhar, Jaipur, Vadodara, Nagpur, Chennai, Mangalore and Kochi.

You can know more about their efforts towards  promoting safe driving behaviour in India from the official website.

https://www.nissan.in/innovation/NSDF.html

“शौचालय” के लिए सब्सिडी नहीं….जागरूकता और इच्छाशक्ति चाहिए

एक देश जिसके युवा “विकसित” देश बनने का सपना देख रहे हो, उसमे 597 मिलियन लोग आज भी खुले में शौच करते हों, इससे ज्यादा शर्मनाक बात क्या हो सकती है | वो देश जिसके पास अपनी सबसे पुरानी  और समृद्ध सभ्यता हो, वो देश जब २१वीं सदी में भी खुले में शौच जैसी समस्या से निजात पाने के लिए लड़ रहा हो, तब यहाँ के जिम्मेदार नागरिकों की  जिम्मेदारी और ज्यादा बढ़ जाती है |

आज जब देश के प्रधानमंत्री विदेशों में जब अपने देश की समस्याओं को गिनाते है, तो उसमे “खुले में शौच” का भी जिक्र करते है, इससे सरकार की तो प्राथमिकता तो झलकती ही है, साथ ही हमारी जिम्मेदारी और बढ़ जाती है, पर आज मैं यहाँ सिर्फ सरकारी स्तर पर इस समस्या के लिए क्या किया जा सकता है या क्या किया जा रहा है ..उस पर बात ना करके ..इसपर बात करना चाहूँगा कि हम आम नागरिक इसमें क्या कर सकते है |

क्योंकि व्यक्तिगत तौर पर मेरा मानना यही है कि ये सिर्फ सरकारी सब्सिडी से होना वाला नहीं है, इसके लिए लोगों में जागरूकता और इच्छाशक्ति का होना बहुत जरुरी है, उनका स्वयं ही इसकी उपयोगिता और आवश्कयता को समझते हुए इसमें भागीदार बनना …

इसके लिए घर में शौचालय होने के सबसे मजबूत पक्ष को मजबूती के साथ लोगों के सामने रखना होगा ..उसमे से एक है …”नारी की सुरक्षा तथा गरिमा”

  नारी की सुरक्षा तथा गरिमा

महिलायों के लिए, खासकर गांवों में “शौच” के लिए कोई उचित तथा सुरिक्षित व्यवस्था न होने के चलते आये दिनों हम समाचार-पत्रों में उनके साथ होने वाली अशोभनीय घटनायों के बारे में पढ़ते रहते हैं, इनमे कई तो बहुत ही गंभीर किस्म की होती हैं | ये तथ्य तो सभी के सामने खुला हुआ है …पर इसके अलावा भी कई छोटी छोटी बातें हैं …जैसे महिलायों की निजता, उत्पीड़न, शौच के लिए उन्हें सुरक्षित जगह ढूढने के लिए घर से काफी दूर बिना किसी सुरक्षा के जाना पड़ता है |

खासकर किशोरियों के लिए ये और भी अहम् हो जाता है , अगर हम Unisef की  रिपोर्ट के अनुसार स्कूलों में शौचालय की समुचित व्यवस्था ना होने से “ड्राप आउट अनुपात” में भी बढोत्तरी हुई है, साथ ही इससे लड़कियों में  अन्यत्रवासिता (ऐब्सन्टीइज़म) जैसी मानसिक अवसाद की स्थिति भी देखी गयी है |

अब बात करतें है, कि इस समस्या को ख़त्म करने के लिए हम सब को करना क्या है ?

जागरूकता ..और जागरूकता में इस मुद्दे को महिलायों और किशोरियों की गरिमा और सम्मान को जोड़ना है, जिससे कि इस अभियान को भावनात्मक रूप से और मदद मिलेगी |

अगर देखा जाए तो

188;200;02525f4365809ac2095c0404849c4bbfe7520726

इस क्षेत्र में सरकार के साथ साथ निजी क्षेत्र के भी अहम योगदान देखने को मिल रहा है,

उदाहरण के तौर पर “हिंदुस्तान यूनीलीवर” और “डोमेक्स (Domex)” की “#ToiletForBabli” मुहिम,

logo

जिसके अंतर्गत महाराष्ट्र और उड़ीसा को पूर्णतः खुले में शौच से मुक्त बनाना है, आपके http://www.domex.in साईट पर किये गए प्रत्येक क्लिक के बदले ये 5 रु० इस नेक काम के लिए योगदान स्वरुप जायेंगे | तो इस तरह से आप भी इस मुहिम का हिस्सा बन सकते है |

आपको सारी जानकारी http://www.domex.in साईट पर मिल जायेगी |

Monday

IRCTC का अधिकारिक एंड्राइड (Android) एप्लीकेशन (App) हुआ लांच

IRCTC की लगभग सभी को जरूरत पड़ती ही रहती है, और सभी का IRCTC से अपना अपना अनुभव रहा होगा, ज्यादातर …का बुरा .

उसके कारण को भी समझा जा सकता है, फिर भी पिछले कुछ दिनों से IRCTC ने अपने आप को कई गुना बेहतर किया, जैसे नई Next Generation E-ticketing System, e-wallet service और Windows 8 और Blackberry के लिए मोबाइल एप्प ..

बस इंतज़ार तो था …एंड्राइड (Android) के एप्लीकेशन का ..क्योंकि एंड्राइड जिस तेजी से विस्तार कर रहा है, उसको देखते हुए ..ये एप्प बहुत ही दिनों से प्रतीक्षित था | सो अंततः आज IRCTC ने अपना एंड्राइड एप्प IRCTC Connect नाम लांच कर दिया |

banner

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

जिसे आप अपने फोन के Google Playstore ये इस लिंक पर क्लिक करके इनस्टॉल किया जा सकता है, पर इसके लिए आपके पास कम से कम Android 4.1 version होना आवश्यक है |

कुछ फीचर्स:

  • ट्रेन सर्च, टिकट बुकिंग
  • टिकट कैंसलेशन
  • आगामी यात्रा अलर्ट
  • नया यूजर रजिस्ट्रेशन

 

ये यहाँ स्क्रीन-शॉट्स का स्लाइडशो (SlideShow):

 

देखते हैं, इससे IRCTC अपने कितने ग्राहकों को खुश कर पाती है |

Sunday

महँगी दवाइयों के समकक्ष, दूसरी सस्ती जेनेरिक दवाईयों (Generic Medicines) को ऑनलाइन (Online) कैसे सर्च (Search) करें ?

आजकल ज्यादातर डॉक्टर्स जो दवाईयां प्रीस्क्राइब्ड (prescribed) करते है, उनका महंगा होने के पीछे, कंपनियों की तरफ से डॉक्टर्स को मिलने वाला मोटा कमीशन या इंसेंटिव भी एक बड़ा कारण होता है | इसको आप ऐसे भी देख सकते है कि अगर हम समान रासायनिक लवणों (Salt) और सूत्र वाली वही दवा किसी कम पोपुलर कंपनी या बिना ब्राण्ड की (generic) दवा लेते है, तो काफी सस्ती पड़ती है |

ये बात पहले से पब्लिक डोमेन में है, इस पर सरकार भी जोर देती रहती है कि जेनेरिक दवाईयों को बढ़ावा दिया जाये, पर भारी बाजारवाद के चलते, आखिर में सब ‘आम आदमी’ को ही झेलना पड़ता है |

यहाँ मैं दूसरी बात ये भी कहना चाहूँगा कि आप शुरू में ही अपने डॉक्टर से ही आग्रह करें कि वो जेनेरिक मेडिसिन ही प्रीस्क्राइब करे, साथ अपने डॉक्टर की सलाह के बिना मैं यहाँ किसी दवा को अपने आप बदलने के लिए मैं यहाँ बिलकुल नहीं कहने वाला हूँ, यहाँ मैं जो वेबसाइट बताने वाला हूँ, उनसे आप जानकारी ले सकते है, अंतिम निर्णय लेने से पहले अपने डॉक्टर से जरूर विमर्श कर ले |

 

1. MedIndia.net

logo2

MedIndia.net पर आप मेडिसिन को जेनेरिक नाम के आधार, कंपनी के आधार पर उसके दूसरे समकक्ष मेडिसिन सर्च कर सकते हो, हाँ इस साईट पर विज्ञापनों और इसका यूजर इंटरफ़ेस की वजय से आपको थोड़ी से असुविधा हो सकती है , विज्ञापन  तो आप Adblock Plus Browser Add-on की मदद से हटा सकते हैं |

 

2. logoMyDawai: 
इस वेबसाइट का खास फीचर ये है कि इसके मोबाइल एप्लीकेशन भी है, जैसे एंड्राइड, एप्पल और फेसबुक एप्प , और दूसरा इसका वेब डिजाईन भी मोबाइल डिजाईन जैसा ही है, उसके साथ ही यहाँ पर जेनेरिक मेडिसिन, और दवाई निर्माता के नाम से भी सर्च कर सकते है |

 

3. MIMS.com   

1005811_10152433808939260_3589841348867010368_nMIMS.com का डेटाबेस (Database) सबसे ज्यादा प्रचलित और पोपुलर है, अपने देश में, मैं इसको यहाँ क्रम में थोडा नीचे इसीलिए रखा, क्योंकि इसकी इस्तेमाल करने के लिए आपको अपना अकाउंट रजिस्टर ( जो फ्री है ) जरूरी है | रजिस्ट्रेशन के बाद, आप इसे यूज करके देखिये, ये एक बेहतर विकल्प है, जहाँ आपको मेडिसिन से सम्बंधित कई और जरूरी जानकारियां भी मिलती है |

 

4. Getdavai header_logo :
इस साईट का डेटा (Data) का स्त्रोत का तो पता नही, पर यहाँ से पोपुलर मेडिसिन ब्रान्ड्स के समकक्ष दूसरी कंपनियों की मेडिसिन के नाम तथा कीमत बढ़ी आसानी से सर्च कर सकते है |


5. HealthKartPlus.com  

logo_big

HealthKartPlus.com के भी मोबाइल एप्लीकेशन है, जो काफी मददगार साबित हो सकते है, साथ ही इस वेबसाइट हा यूजर इंटरफ़ेस और डिजाईन काफी बढ़िया है, और फीचर्स भी सभी है , कुल मिलाकर ये भीं एक बेहतर साईट है |

Thursday

एंड्राइड (Android) फोन पर बोलकर हिंदी में कैसे लिखें ? (Voice to Text in Hindi)

आजकल अगर औसतन स्मार्टफोन का उपयोग देखा जाये तो करीब 5-6 घंटे तो आ ही जायेगा, जिसमे कि सोशल नेटवर्किंग साइट्स , व्हाट्सएप्प और एसएमएस का एक अहम हिस्सा है | इसमें कोई शक नही है कि स्मार्टफोन ने लाइफ को सुगम करने में काफी मदद की है |

अगर हम टायपिंग को ही ले लें, तो पहले से अब तकनीक काफी परिष्कृत हुई है, खासकर हिंदी के क्षेत्र में, और हिंदी में गूगल के योगदान को नकार नही सकते हैं |

आज हम यहाँ बात करने जा रहें है, वौइस् टू टेक्स्ट (Voice to Text) टायपिंग की हिंदी में, वो भी आपके स्मार्टफ़ोन पर …बहुत ही आसान …नीचे के 5 स्टेप्स का अनुसरण करते जाईये |

 

१. Settings में जाकर आपको “Language & Inputs” पर टैप (क्लिक) कीजिये . (नीचे के स्क्रीनशॉट की भांति)

Screenshot_2014-08-10-18-11-48

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

2. नीचे के स्क्रीनशॉट की तरह, Google Voice Typing के setting icon पर टैप कीजिये |

Screenshot_2014-08-10-18-12-21

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

3. तीसरे स्टेप में “Select Input Language” पर टैप कीजिये |

 

Screenshot_2014-08-10-18-12-28

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

4. अब आप यहाँ से अपनी भाषा “हिंदी” चुन लीजिये |

Screenshot_2014-08-10-18-12-40

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

5. अब आपकी Voice to Text की डिफ़ॉल्ट भाषा हिन्दी हो गयी है, इसके बाद आप कहीं पर भी बोलकर उसको हिंदी में लिख  सकते है , उदाहरण के हम फेसबुक का एक स्टेटस लिखने के लिए Voice to Text का उपयोग करना चाहे तो …उसके लिए आपको निम्न स्क्रीनशॉट की तरह पहले कुछ सेकंड्स लगातार Space बटन दबाये रखना पड़ेगा, जिससे आपको Voice Typing का आप्शन चुनने को मिलेगा |

Screenshot_2014-08-13-23-04-16

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 

6. बस हो गया …अब आप बोलते जाईये ..हिंदी में..उधर स्वतः ही टाइप होता रहेगा |

Screenshot_2014-08-10-18-15-56

Sunday

‘मोदी’ की दमदार जीत ..…मेरी नज़र से

नरेन्द्र मोदी जी  की अगुआई में बीजेपी को मिले स्पष्ट बहुमत से अब देश में एक स्थिर और मज़बूत सरकार का सपना तो पूरा हो गया, जो कि समय की मांग हो गयी  थी | अब अगर इस जीत का गुणा-भाग करने बैठे तो साफ़ साफ़ दिखने लगेगा कि ऐसा कैसे संभव हुआ ? तमाम “पोलिटिकल पंडितों” को झटका दे गए ये परिणाम जो गठबंधन के गणित में उलझे रह गए, और जनता की आवाज को नहीं महसूस कर पाए |

 

India State Election

इस स्पष्ट जीत के मायने और कारण जहाँ तक मुझे समझ में आते हैं, वो मैं यहाँ रखूँगा |

 

1. देश में आयी नेतृत्व शून्यता

अगर देखा जाए तो यूपीए-2 के शुरू से ही देश बिना किसी नेतृत्व के रेंग रहा था, अर्थव्यवस्था से लेकर महंगाई और भष्ट्राचार जैसे कई गंभीर मामलों पर देश के शीर्ष नेतृत्व का लगभग मौन रहना, न ही उसके उसमे संलिप्त होने का समर्थन करता दिखता था, अपितु देश के लिए ये आत्म-सम्मान का विषय भी था | अगर हम भष्ट्राचार के मामलों को छोड़ भी दें, तब भी चाहें वो राष्ट्रीय सुरक्षा की बात हो या भारत की कूटनीतिक स्थिति या फिर विदेश नीति, इन सभी मामलों में नेतृत्व नाम की कोई बात नज़र नही आयी |

 

अगर प्रधानमंत्री को छोड़ भी दिया जाए, फिर भी अन्य भी कोई मंत्री अपनी भूमिका को निभाता हुआ नहीं दिखा|

देश लगातार बदल रहा था, वो अपने देश का आत्म-सम्मान को वापस  लाना चाहता था, और इस बार उसने इसे ही चुना, जिसने दृढ और सशक्त नेतृत्व की बात की |

 

2. देश बदल रहा था

मोदी की जीत में सबसे बड़ा कारक जो था वो था कि मोदी जी ने उस “बदलाव" को महसूस कर लिया ..जिसकी सुबुगाहट अन्ना और रामदेव आन्दोलन के दौरान पता चली थी | वो बदलाव जो बता रहा था कि समाज अब “याची” ना रहकर “आकांक्षी" हो चला है, उसे अब खैरात नहीं चाहिए, उसे अब आत्म-सम्मान चाहिए, उसे बेरोज़गारी भत्ता नहीं चाहिए, उसे अब योग्यतानुसार रोजगार चाहिए,  वो अब खुद अपने बूते पर काम चाहिए था, उसे अपना “अधिकार” चाहिए था …कोई “उपकार” नहीं |

बस देश ने इस बार इसे ही चुना, करोड़ों युवा मतदातायों के लिए प्रथम प्राथमिकता थी ..रोजगार बस उसने इसी को चुना |

कांग्रेस के कई नेता , राहुल गाँधी के साथ जो अपने आप को युवा मानते थे वो भी 2004-2005 की दो चार योजनायों को घुमा घुमा कर अपनी सबसे बड़ी उपलब्धियों की तरह पेश करते रहे, और वो ये नहीं समझ पाए …इस रेंगती अर्थव्यवस्था और महगांई और भीषण बेरोज़गारी में मनरेगा मात्र “ऊंट में मुंह में जीरा” ही समान होता जा रहा था |

 

3. अवसरवाद, जाति, क्षेत्रवाद  राजनीति से परेशान आ गया था देश

1984 के बाद से किसी भी पार्टी को बहुमत ना मिल पाने के पीछे जो मुख्य कारण मैं समझता हूँ वो था भारतीय समाज के जटिल ताने बाने की कमजोर कड़ियों का फायदा उठाकर पनपीं कई अवसर और जातिवादी क्षेत्रीय पार्टियां , जिनके चलते गठबंधन सरकारें कई सारी जिम्मेदारियों को “गठबंधन धर्म” की अनिवार्यता या मजबूरी का नाम लेकर बच जाती थी | साथ ही ये पार्टियाँ भी अपने स्वार्थ सिद्ध करने में कामयाब हो जाती थी | जनता  अब इससे ऊपर उठना चाहती थी ….मोदी ने इसका आवाहन अपने “मिशन 272” के जरिये किया …जिसको जनता ने 282 करके दिया |

जनता की इस आकांक्षा को बीजेपी के अलावा कोई और पार्टी बिलकुल नहीं समझ पायी |

 

4. मोदी का नया और दमदार चुनाव प्रचार

इसके कई आलोचक होंगे, पर मुझे इसमें कुछ गलत नही लगता ..अगर आप वर्तमान को नही देख सकते तो भविष्य क्या देख लोगे ? मोदी ने शुरू से ही जिस शैली का इस्तेमाल किया वो भारतीय सन्दर्भ में नयी थी …ये अमेरिका की “प्रेसिडेंट स्टाइल” वाले चुनाव प्रचार से काफी मिलती थी …जिसमे उम्मीदवार पहले से ही जनता के सामने साफ़ होता है, वो किसे चुनने जा रही है, “संसदीय व्यवस्था” की कमजोरी के चलते “ एक्सीडेंटल प्रधानमंत्री” को जनता पिछले १० साल से झेल रही थी |

दूसरा एक बड़े समुदाय के समक्ष अपने आपको एकमात्र विकल्प के रूप में प्रस्तुत करना, और उस बड़ी संख्या को अपनी तरफ मोड़ने के लिए सोशल मीडिया, 3D तकनीक, चाय चर्चा के जरिये सीधा संवाद, अपने विरोधियों को लगातार अपने ही मज़बूत बात (विकास मॉडल) के इर्द गिर्द घुमाने पर मजबूर करने में सफल होना ये सब सोची समझी , पूर्ण सुनियोजित योजना के तहत चुनाव प्रचार वाकई कुशल नेतृत्व का ही परिचय देता था |

 

यहाँ सभी कारण तो नहीं समेट पाया हूँगा, पर अपने हिसाब से कोशिस की है ..बाकी आपकी भी राय होगी और आप जरूर व्यक्त करें |

Friday

आगामी लोकसभा चुनाव में युवा भागीदारी और सोशल मोबाइल एप्स....


सर्वप्रथम आपको नववर्ष की हार्दिक शुभ कामनाएं
 
यह वर्ष काफी महत्वपूर्ण होने वाला है, क्योंकिं इसी वर्ष देश में आम चुनाव होने वाले हैं, जिनके परिणाम सिर्फ पांच साल ही नहीं, आगे के लिए भी देश में काफी अहम भूमिका निभाने वाले हैं |
ऐसा इसीलिए, क्योंकि आने वाला दशक ..अब परिवर्तन का दशक साबित होने वाला है, पिछले कुछ राज्यों के परिणामों में कुछ कुछ स्थिति साफ़ भी की हैं |
अब बदलाव चाहिए, छुटकारा चाहिए इस पुरानी जंग लगी सोच से…”कछुआचाल सेदेश को रफ़्तार चाहिए ….

पर कौन करेगा ?

इतिहास बताता रहा है, कि परिवर्तन की शुरुआत ..हमेशा नयी सोच ने ही की है ….
तो फिर से एक बार जिम्मेदारी युवा पीढ़ी पर ही है ..पर इस बार असल में ये युवाहै कहाँ ?
आप कहीं हनी सिंहके गानों के बे-तरतीब दीवानों को? , “नशेको बुरा नही…”आधुनिकमानने वाले को ? ….अपनी सामाजिक जिम्मेदारी से भागने वाले को ?…..रात को डिस्को, पब्स में धुत पड़े दिशाहीन कुंठित युवको को ?……… तो युवा नहीं समझ रहे ?
मैं तो नही मानता हाँ, ये संख्या तेजी से बढ़ रही है, जो दुर्भाग्यपूर्ण है |
युवावो ही है….जो अपनी जिम्मेदारी जानता है, वो अपना महत्व समझता है.और वो इस बार भी समझेगा |


पर कैसे ?


समय बदलता है, तो तरीके भी बदलते हैं, और इसका बेहतर इस्तेमाल करना इस पीढ़ी ने हमेशा किया है |
अब तकनीक इतनी उन्नत हो चुकी हैं, कि काफी समस्याएं तो रहीं ही नहीं है, जो हैं ..उनको इसके बेहतर इस्तेमाल से बड़ी ही आसानी से किया जा सकता है
आज युवा पीढ़ी के पास जो सबसे बड़ा इस्तेमाल है ..वो है बेशक इन्टरनेटऔरसोशल नेटवर्किंग
अब निर्भर इस बात पर है कि इसका इस्तेमाल कैसे किया जाता है, क्योकि ये महज एक माध्यम है, और किसी भी माध्यम की सार्थकता उसके उपयोगकर्ता पर ज्यादा निर्भर करती है |

अगर बात सटीक संवाद, संपर्कता की बात की जाए तो आजकल चल रहे मोबाइल सोशल एप्स जैसे कि WeChat, WhatsApps, Line आदि ज्यादा प्रासंगिक साबित हो रहे हैं
अगर यहाँ बात की जाए “WeChat” की


तो इसमें बेसिक कम्युनिकेशन से आगे बढ़कर भी कई ऐसे एडवांस्ड फीचर्स है, जैसे फ्री ग्रुप चैट, फ्री वौइस् चैट, फ्री विडियो चैट, लोकेशन के हिसाब से आपने निकट मौजूद अजनबी से भी चैट, कई सारे विजुअल स्टीकर जो कई शब्दों की बात अकेले कर सकतें है |
तो खूबियाँ तो सारी होती है जो एक बेहतर संवाद के लिए चाहिए बस सही से उपयोग करने की है


कैसे मोबाइल सोशल एप्सके जरिये ज्यादा से ज्यादा युवा जोड़े जा सकते है ?

कोई कुछ भी कह ले ..पर चाहे सोशल नेटवर्किंग साईट्स हों या मोबाइल सोशल एप्स” ..दोनों की मूलभावना आपस में जोड़ना ही है ..और वे उसमे कामयाब भी रहे है ..सोशल नेटवर्किंग साईट्स का अपना अलग स्थान है, जबकि अब इन मोबाइल सोशल एप्सका भी स्थान तेजी से बदल रहा है , ये ज्यादा करीब हैं, सुगम, सरल और ज्यादा वास्तविक से हैं ..

मैं यहाँ उदाहरण के लिए, WeChat को लेकर चलता हूँ, कि ये अगले चुनावों में युवायों को कैसे आगे ला सकता है, कैसे आपस में जोड़ सकता है

१. संघे शक्ति:
संघे शक्ति ..यानि अगर एक साथ मिलकर काम किया जाये ..तो कुछ असंभव नहीं ..जैसे बूंद बूंद से ही सागर भरता है, वैसे ही ऐसे तमाम गुमराह करने वाले अँधेरे माहौल में अगर अच्छे लोग मिलकर, एक जुटकर काम करें ..तो मंजिलबहुत ही आसान हो जाएगी ..

किसी योग्य, ईमानदार उम्मीदवार के बारे में एक टेक्स्ट मेसेज, एक विडियो, एक सन्देश काफी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है, ग्रुप चैट (Group Chat”) या मेसेज ब्रोडकास्टिंग के जरिये ये बेहतर तरीके से किया जा सकता है |
और ये एक दो मेसेज, विडियो, पिक्चर जब अच्छे उद्देश्य के लिए मिलकर फैलेंगे, तो फिर कई दूसरे भी इससे जुड़ते जायेंगे |

२. वॉकी-टॉकी 
कल्पना करो भारी से भारी भीड़ को चंद लोग कैसे नियंत्रित करते है, बेहतर सूझबूझ और एक बेहतर संवाद प्रणाली से .. वॉकी-टॉकी से बेहतर क्या हो सकता है ?
WeChat के Voice Chat फीचर को वॉकी-टॉकी के रूप में मतदान के दौरान बहुत बेहतर तरीके से इस्तेमाल किया जा सकता है ..और ये रोचक भी लगेगा |

३. आस - पास को जानो:
 
कहते हैं, अगर जीत चाहिए तो सजगबनो….सतर्क रहो ..इसके लिए आपके आस पास क्या घटित हो रहा है, उससे
आपका परिचय प्रतिदिन होते रहना चाहिए, उसके लिए आपस में न्यूज शेयरिंग, लोकेशन आधारित चैट काफी मददगार हो सकती है |




४. कैद करो ..इन भ्रष्ट गुलामोंको ..


अंत में सबसे असरदार हथियार ..कैमरा”..जिससे इनकी नापाक हरकतों को ..जो अब पर्वतसी होती जा रही हैं को कैद करों फिर छोडो उसे आजाद" मैदान में जहाँ ये नंगेहो सके कुछ शर्म लगे …|



ये बात पहले भी सिद्ध हो चुकी है, इस तरीके के माध्यम से भी कई सफल क्रांतियाँ हो चुकी हैं, निर्भर करता है, उसे इस्तेमाल कैसे किया जाए

ये साल उम्मीदकी हैअबकी पछतानाना पड़े अभी बहुत आगे जाना है, सो अब और देरनही ..
जागो दोस्तों…..इस बार

यह पोस्ट IndiBlogger के द्वारा चलाये जा रहे ..Indian General Elections 2014 with social mobile apps” Contest के अंतर्गत लिखी गयी है |

इसी विषय मेरा एक लेख “English” में भी है, कृपया एक पधारें ..और सुझाव जरूर दें |